सज्जनों! यदि दिल चीर कर या आंसुओं को बहाकर देश के पर्वतों, वृक्षों और नदियों के ज़रिये हम आपको इस देश की कराह सुनवा सकते तो अवश्य इस कराह को आप तक पहुंचाते. यदि वृक्ष और पशु बोलते तो वे आपको बताते कि इस देश की अंतरात्मा घायल हो चुकी है. उसकी प्रतिष्ठा और ख्याति का बट्टा लगाया जा चूका है और पतन की ओर बढ़ने से वह अग्नि-परीक्षा के एक बड़े खतरे में पढ़ गया है. आज संतों, धर्मानिष्ठों, दार्शनिकों, लेखकों और आचार्यों के मैदान में आने, नफरत की आग बुझाने और प्रेम का दीप जलाने की आवश्यकता है. इस देश की नदियाँ, पर्वत और देश के कण-कण तक आपसे अनुरोध कर रहे हैं कि आप इंसानों का रक्तपात न कीजिये, नफरत के बीज मत बोइये, मासूम बच्चों को अनाथ होने और महिलाओं को विधवा होने से बचाइये. भारत को जिन विभूतियों ने स्वाधीन कराया था, उन्होंने अहिंसा, सद्व्यवाहर और जनतंत्र के पौधों कि सुरक्षा का दायित्य हमें सौंपा था और निर्देश दिया था कि इन पौधों को हाथ न लगाया जाए, किन्तु हम उनकी सुरक्षा में असफल रहे. इसके फलस्वरूप आज हिंसा और टकराओं का दानव हमारे सामने मुंह खोले खडा है. नफरत और हिंसा कि आग हमारी उन समस्त परम्पराओं को जला देने पर तत्पर है, जिनके लिए हम समस्त संसार में विख्यात थे और आदर एवं प्रतिष्ठा की द्रष्टि से देखे जाते थे. हमारी गलतियों ने बाहरी देशों में हमारा सर नीचा कर दिया और हमारी स्थिति यह हो गयी है कि हम मुंह दिखने योग्य नहीं रह गए हैं.
आज नफरत कि इस आग को बुझाइए और याद रखिये! जब यह द्फ्न्सा किकी देश या सम में आ जाती है तो फिर दुसरे धर्म वाले ही नहीं, अपनी ही कौम और धर्म कि जातियां और बिरादरियां, परिवार, मोहल्ले, कमज़ोर और मोहताज़ इंसान, जिनसे लेशमात्र भी विरोध हो, उसका निशाना बनते हैं.
पयामे इंसानियत फोरम कई वर्षों से इस दिशा में प्रयत्नशील है कि समाज एवं देश में हो रहे नैतिक पतन को दूर करने तथा आपस में प्रेम और भाईचारा पैदा करने के दोए देश के प्रत्येक नागरिक को उसकी ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाया जाये कि वह इस दिशा में जागरूक हो और अपना योगदान दे इस्सके अतिरिक्त समस्त धर्मों के एकता के सूत्रों व शिक्षाओं को परिचित करा कर विभिन्न धर्मोलम्बियों के मध्य पारस्परिक प्रेम, विश्वास व समझ को आगे बढाकर आपसी नफरत और भेद-भाव को दूर किया जाए, तथा इंसानों के अन्दर से निकल चुकी इंसानियत को एक बार पुनः जीवित किया जाये. इसी दिशा में कदम बढाते हुए फोरम द्वारा ०२ अगस्त, २००९ को रवीन्द्रालय, चारबाग, लखनऊ में प्रातः १०.०० बजे से 'हमारा समाज और फ्मारी जिम्मेदारियां' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. जिसमे देश के विभिन्न धर्मों व वर्गों के बुद्धिजीवियों तथा इस दिशा में कार्यरत संस्थाओं के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है. इसी सन्दर्भ में 'इसलाम शांति व मानवता का सन्देश' शीर्षक के अर्न्तगत एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसका पुरस्कार वितरण समारोह भी इस अवसर पर आयोजित किया जायेगा और विजेताओं को सम्मानित किया जायेगा.
अतः आपसे निवेदन है कि आप इस में उपस्थित होकर उपरोक्त विषय पर बुद्धिजीवियों के विचारों को सुने और एक आदर्श भारतीय समाज बनाने में हमारा सहयोग करें.

प्रस्तुतकर्ता खुर्शीद अहमद मंगलवार, 21 जुलाई 2009

1 Responses to

  1. Bahut Badhiya, Aage bhi Jari rakhe.....

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